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![]() | शान्तिशील साम्राज्य – घरवापसी |
![]() | साक्षी – एक ट्राइब ऑफ़ हार्ट वृत्तचित्र |
![]() | प्रस्तुत करते हैं संपूर्ण अहिंसा |
![]() | डर से बढ़कर प्यार– शान्तिशील साम्राज्य के पीछे प्रेरणात्मक कहानी |
![]() | दुनिया में सबसे बड़ा परिवर्तन |
![]() | कलाकार से कर्मण्यतावादी |
![]() | फ़ादर फ्रैंक मैन का पशुओं की ओर संवेदिता का जागरण |
![]() | क्या मानसिक परिवर्तन दुनिया बदल सकता है? |
![]() | मुर्गी माता और उसका शिशु – शान्तिशील साम्राज्य से एक दिल को छूने वाला उपविभाग |
विशेष आभार |
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आने वाले कार्यक्रम ----- आधुनिक कार्यक्रम
बात और स्क्रीनिंग लाम्बे चॉप से \u200b\u200bमेंटिस्ट्स: द ईवोल्यूशन ऑफ डिसाइंस मार्च 11 डंडी स्कॉटलैंड यूनाइटेड किंगडम
टोह सह-संस्थापक द्वारा शाकाहारी भोजन और टॉक होलीस्टिक अहिंसा का परिचय - जेम्स लावेक के साथ फरवरी 1 9 रोचेस्टर NY
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ब्लॉग पोस्ट
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अगर हमारी किसी फ़िल्म ने आपका दिल छू लिया हो, तो कृपया इस प्रभावशाली अनुभव को अपने दोस्तों, परिवारवालों, और सहकारियों के साथ बांटे – अपने घर में, पाठशाला में, सामाजिक मीडिया पर, या फिर आप अपने सामुदाय में सार्वजनिक प्रदर्शन संयोजित करके। नीचली टिप्पणियाँ दिखलाती हैं की सामुदाय में बाँटने से संवेदिता और न्याय का सन्देश कितना गहरा प्रभाव डाल सकता है।
अपने प्रदर्शन की संयोजना कैसे करें
इस फिल्म ने मेरे अन्दर के प्यार को जगाया है – अतिसुन्दर! (फ़िल्मोत्सव दर्शक)
यह फ़िल्म दिल को छू गयी। यह याद दिलाती है की एक व्यक्ति अच्छा कर सकती है, और हम सब पर ज़िम्मेदारी है की हम उनके लिए आवाज़ उठायें जो बोल नहीं सकते। (टीवी दर्शक)
फ़िल्म देखने के बाद मुझे “संपूर्ण” महसूस हो रहा है। दैनिक जीवन में नहीं मिलते वैसे ताल्लुक जोडती है। मुझे लगा मैं अपने आप से बड़ी हूँ, जैसे कि मैं एक किसी बड़ी चीज़ का हिस्सा हूँ।
पहली बार मैं एक साथ हंसी और रोई भी। लगता है मैं अब जाग गयी हूँ, जीवित हूँ। (फ़िल्मोत्सव दर्शक)
इस फ़िल्म ने बेहतरीन तरीके से मेरा दिल तोड़ दिया। मुझे पसंद है कि यह फ़िल्म संवेदनशील है, जानवरों से ही नहीं, किसानों से भी। उनकी यात्रा हमारी यात्रा है, जो जानवरों का उपयोग करने से अहिंसा की ओर गए हैं। मुझे इस फ़िल्म सबको दिखानी है। (कैनाडा में दर्शक)
बहुत ही महत्त्वपूर्ण फ़िल्म, जो आकस्मिक संवेदनशीलता से बनी है। बहुत लोगों जैसे मैंने अपने बेहतर प्रवृत्ति पर ध्यान नहीं दिया। आपकी फ़िल्म की वजह से, मैं अपने पोते-पोतियों को जानवरों से प्रेम और उनका आदर करने सिखाउंगी। (शान्ति फ़िल्मोत्सव में दर्शक)
इस फ़िल्म में दिखाए लोगों की मानवता और साहस मेरा दिल छू गए – लोग जो अपने मूल्य जी रहे हैं – और यही बदलना चाहिए। प्रार्थना करने के अलावा हम अपने जीवन शैली में परिवर्तन ला सकते हैं। (फ़िल्मोत्सव दर्शक)
यह आसान है सोचना की एक व्यक्ति कुछ सार्थक परिवर्तन नहीं कर सकती। यह दिखाने के लिए धन्यवाद कि यह ज़रूरी नहीं है, हर एक क्रिया मदद कर सकती है। यह सचमुच एक नम्र बनाने वाला एहसास है। (टीवी दर्शक)
इस फ़िल्म ने मेरे अन्दर कुछ हिला दिया। धन्यवाद कि आपने इन जानवरों को आवाज़ दी। धन्यवाद कि आपने परिवर्तन करने का मुझे साहस दिया। दिल से धन्यवाद। (ऑस्ट्रेलिया में दर्शक)
फ़िल्म देखने के बाद मेरा दिल टूट गया कि जानवरों से कितना बुरा बर्ताव किया जाता है। उन्हें भी दर्द और दुःख महसूस होता है हमारी तरह। उनके साथ लोगों जैसा ही बर्ताव होना चाहिए। उनका आदर करो, उनसे प्यार करो, ताकि न ही उनका पर हमारा भी जीवन बेहतर हो जाए। फिर वह हमारे सच्चे दोस्त होंगे। (विएतनाम में दर्शक)
मैं बता नहीं सकता कि इस वृत्तचित्र का मुझपर कितना प्रभाव पडा है। मुझे आशा है कि अन्य लोग भी देख पाएंगे। हाँ, सबको “पता है” कि क्या हो रहा है, पर क्या वे सचमुच समझते हैं? इस फिल्म जैसे नहीं समझते। इस फ़िल्म जैसा कुछ नहीं। (टीवी दर्शक)
फिल्म ने मुझे याद दिलाया कि “बेखबर” होना ठीक नहीं है। मुझे लगा “कि मुझे भी कुछ करना है।” (जापान में दर्शक)
“घरवापसी” जानवरों की घर की ओर यात्रा के बारे में तो है ही, पर सच और न्याय की ओर हमारी व्यक्तिगत और सामूहिक यात्राओं के बारे में भी है। यह हमारे शिक्षक हैं, अगर हम सुनें, सचमुच सुनें, और सीखें तो। शायद यही है जो सबको नींद से जगाएगा, मुझे आशा है। (फ़िल्मोत्सव दर्शक)
सुन्दर, संवेदनशील ढंग से बनाई गयी फ़िल्म। यह सोचने की बात है कि हमारे चुनाव हमारी दुनिया में हिंसा कैसे बढ़ाते हैं। (कैथोलिक सामुदाय प्रदर्शन के दर्शक)
मैं विकलांग व्यक्तियों के साथ काम करता हूँ और हमेशा प्रयास करता हूँ कि उनके व्यक्तिगत मानवता का आदर करते हुए उनसे बरताव करूं। लेकिन मैं यह जानवरों के साथ नहीं करता। इस फ़िल्म ने इस वियोग पर ध्यान दिलाया। मैं फिर से एक नए अभिज्ञता की ओर जा रहा हूँ। (फ़िल्मोत्सव दर्शक)
इस फ़िल्म ने दिखाया कि अपने असली अहम् को बंद करने से कितने लोगों को कष्ट हो रहा है – कैसे वह धीरे धीरे मरने लगते हैं। सचमुच एक संवेदनशील कहानी है। (फ़िल्मोत्सव दर्शक)
यह फ़िल्म देखने के बाद मैं सचमुच कह सकता हूँ कि मैं अच्छे के लिए बदल गया हूँ। (फ़िल्मोत्सव दर्शक)
हमारी दुनिया को इस संदेश की ज़रुरत है – ह्रदय को छू जानेवाली, आशावादी और प्रेरणात्मक थी। मैं अभिभूत हूँ और आभारी भी। (फ़िल्मोत्सव दर्शक)